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bhagwan Vishnu

Dev Utthaan Ekadashi

देवउठाव एकादशी: महत्व, कथा, व्रत विधि, पूजा विधि और वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक लाभ

प्रस्तावना

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठाव एकादशी या देवोत्थान एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह वह पावन तिथि है जब भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के बाद जागते हैं। इस दिन से हिंदू धर्म में सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है। यह एकादशी भक्तों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है जिसमें व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

1. धार्मिक महत्व

शास्त्रों के प्रमाण

  • पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में देवोत्थान एकादशी का विस्तृत वर्णन मिलता है
  • इस दिन भगवान विष्णु के शयनकाल (चातुर्मास) का समापन होता है
  • शास्त्रों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कार्तिक मास में सूर्य तुला राशि में होता है
  • इस समय चंद्रमा की स्थिति मन को शांत करने वाली होती है
  • इस दिन व्रत रखने से ग्रह दोषों का शमन होता है

2. पौराणिक कथा

प्राचीन काल में एक राजा हरिश्चंद्र थे जिन्होंने सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपना सब कुछ त्याग दिया। उनकी परीक्षा लेने के लिए ऋषि विश्वामित्र ने उन्हें कठोर परिस्थितियों में डाल दिया। अंत में भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उन्हें देवोत्थान एकादशी का व्रत करने को कहा। इस व्रत के प्रभाव से राजा को उनका खोया हुआ राज्य वापस मिल गया।

एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले गए थे, तब देवताओं ने उन्हें जगाने के लिए विशेष पूजा की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।

3. व्रत एवं पूजा विधि

सामग्री

  • तुलसी दल, केले के पत्ते, फूल, फल
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या शालिग्राम
  • पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
  • खीर, मालपुआ और अन्य भोग सामग्री

चरणबद्ध प्रक्रिया

  1. प्रातःकाल स्नान: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें
  2. व्रत संकल्प: “मैं भगवान विष्णु की प्रसन्नता हेतु देवोत्थान एकादशी का व्रत करता/करती हूँ”
  3. पूजा विधि:
    • केले के पत्ते पर भगवान विष्णु को स्थापित करें
    • पंचामृत से स्नान कराएं
    • तुलसी दल और फूल अर्पित करें
  4. जागरण: रात भर भजन-कीर्तन करें
  5. दान-पुण्य: अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दें

4. लाभ

आध्यात्मिक लाभ

  • मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है
  • पितृ दोष से मुक्ति मिलती है
  • भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है

वैज्ञानिक लाभ

  • उपवास से शरीर की शुद्धि होती है
  • रात्रि जागरण से मन की एकाग्रता बढ़ती है
  • सर्दियों की शुरुआत में शरीर को डिटॉक्स करने का उत्तम अवसर

निष्कर्ष

देवोत्थान एकादशी हमें सिखाती है कि जिस प्रकार भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं, उसी प्रकार हमें भी आलस्य त्याग कर आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ना चाहिए। यह व्रत हमें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – चारों पुरुषार्थों की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। आइए, इस पावन अवसर पर भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का संकल्प लें।

“हरि ॐ तत्सत”

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