वास्तु दोष का परिचय
वास्तु दोष तब उत्पन्न होता है जब घर का निर्माण वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के विरुद्ध होता है। इससे घर में अशांति, आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर और भवनों के निर्माण में दिशा, संरचना और वातावरण का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है। यदि घर का निर्माण गलत दिशा में या अनुपयुक्त स्थान पर किया जाता है, तो यह नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
वास्तु दोष का ज्योतिषीय पक्ष
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष दोनों का गहरा संबंध है। जब घर या स्थान में कोई वास्तु दोष होता है, तो उसका प्रभाव न केवल शारीरिक और मानसिक स्थिति पर पड़ता है, बल्कि यह व्यक्ति के भाग्य, सुख, और समृद्धि पर भी प्रतिकूल असर डाल सकता है। ज्योतिष में वास्तु दोष का विश्लेषण व्यक्ति के ग्रहों, नक्षत्रों और कुंडली के आधार पर किया जाता है। आइए जानते हैं, वास्तु दोष के ज्योतिषीय पक्ष के बारे में।
वास्तु दोष के प्रमुख कारण:
- मुख्य द्वार का गलत दिशा में होना – घर का मुख्य द्वार यदि सही दिशा में नहीं है, तो घर में धन की हानि, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।
- रसोई, शयनकक्ष और पूजा स्थल का गलत स्थान पर होना – यदि ये स्थान गलत दिशा में होते हैं, तो परिवार के सदस्यों में मतभेद, स्वास्थ्य समस्याएं और मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकते हैं।
- टॉयलेट का उत्तर-पूर्व दिशा में होना – उत्तर-पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है। यदि इस दिशा में टॉयलेट बनाया जाता है, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- घर में अत्यधिक टूट-फूट और अंधेरा होना – घर की दीवारों में दरारें, टूटे हुए फर्नीचर, खराब विद्युत व्यवस्था और अंधकार से वास्तु दोष उत्पन्न होता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और घर के सदस्यों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

वास्तु दोष निवारण के उपाय:
- तुलसी का पौधा लगाएं – घर में तुलसी का पौधा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। नियमित रूप से तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए।
- मुख्य द्वार पर स्वस्तिक और ओम का चिन्ह बनाएं – यह प्रतीक सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करते हैं और घर को नकारात्मक शक्तियों से बचाते हैं।
- समुद्री नमक का उपयोग करें – घर में समुद्री नमक के पानी से पोछा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
- नियमित रूप से वास्तु शांति यज्ञ करें – यह उपाय घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और शांति बनाए रखने के लिए किया जाता है।
- गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव करें – घर में पवित्रता बनाए रखने के लिए समय-समय पर गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव करें।
- उचित दिशाओं में हवन कुंड और पूजा स्थल बनवाएं – पूजा स्थल और हवन कुंड सही दिशा में होने चाहिए ताकि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बना रहे।
ग्रह दोष निवारण के ज्योतिष उपाय:
ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि किसी जातक की कुंडली में कोई ग्रह दोष है, तो इसके प्रभाव को कम करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- सूर्य दोष निवारण – प्रत्येक रविवार को सूर्य को जल अर्पित करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें। इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
- शनि दोष निवारण – प्रत्येक शनिवार को हनुमान चालीसा और शनि चालीसा का पाठ करें। इससे शनि ग्रह के दुष्प्रभाव कम होते हैं और जीवन में स्थिरता आती है।
- मंगल दोष निवारण – हनुमान जी की पूजा करें और प्रत्येक मंगलवार को राम नाम का जाप करें। इससे उग्र स्वभाव नियंत्रित होता है और ऊर्जा संतुलित रहती है।
- राहु और केतु दोष निवारण – प्रत्येक शनिवार को राहु और केतु के मंत्रों का जाप करें और राहु-केतु से संबंधित वस्त्र और अनाज का दान करें।
वास्तु दोष से बचने और इसके निवारण के लिए उचित दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए उपयुक्त उपाय अपनाने चाहिए। यदि कोई गंभीर वास्तु दोष हो, तो किसी अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ से परामर्श लेना भी उचित रहेगा। सही वास्तु उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य बना रहता है।