परिवारिक कलह क्या है?
परिवारिक कलह का अर्थ है घर में बढ़ती तनाव, जो परिवार सदस्य को बिगाड़ देता है और कुशल और अशांति का कारण बनता है। यह तनाव मानसिक हो सकता है, स्वार्थिक हो सकता है या धार्मिक कारण से भी हो सकता है।
परिवारिक कलह के कारण
- वाणीक विवादों की असमझस्टिया
- आर्थिक दोषिता की कमी
- व्यक्तिगत और विवाद
- चांद्र दोष
- ग्रह के दोष और पितृ दोष
पूजा और मंत्र के द्वारा समाधान
परिवारिक कलह को खत्म करने के लिए कुछ विशेष मंत्र और पूजाओं का करना अवश्यक माना जाता है:

- रुद्राभिषेक याग्य
- हम पीठ का जाप
- महामृत्य जाप का पाठ
- वास्तु शांति मंत्र जाप
- शान्ति पूजा और खाप दीप
रुद्राभिषेक यज्ञ कैसे किया जाता है?
- सर्वप्रथम, पूजा स्थल को स्वच्छ करें और शिवलिंग की स्थापना करें।
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से शिवलिंग का अभिषेक करें।
- बिल्वपत्र, धतूरा, आक के फूल एवं अन्य पवित्र सामग्रियों को अर्पित करें।
- रुद्र मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे कि “ॐ नमः शिवाय” और “रुद्राष्टाध्यायी” का पाठ करें।
- हवन सामग्री से अग्निहोत्र करें और परिवार की शांति के लिए प्रार्थना करें।
हम पीठ का जाप
हम पीठ का जाप एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक साधना है जो भगवान शिव और शक्ति की उपासना से जुड़ा होता है। यह जाप विशेष रूप से शक्ति उपासकों द्वारा किया जाता है और इसे करने से आध्यात्मिक ऊर्जा, मानसिक शांति और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति प्राप्त होती है।
हम पीठ का जाप करने की विधि:
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और माता शक्ति की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें।
- दीप जलाकर, पुष्प और धूप अर्पित करें।
- मंत्र “ॐ हम हं हम पीठाय नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें।
- जाप पूर्ण होने के बाद देवी शक्ति से परिवारिक शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
- अंत में प्रसाद वितरण करें और आशीर्वाद लें।
महामृत्युंजय जाप का पाठ
महामृत्युंजय जाप भगवान शिव का एक अत्यंत प्रभावशाली मंत्र जाप है जो जीवन की कठिनाइयों को दूर करता है, स्वास्थ्य रक्षा करता है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है। यह मंत्र विशेष रूप से रोगमुक्ति, दीर्घायु और आध्यात्मिक उन्नति के लिए किया जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र:
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।”
महामृत्युंजय जाप करने की विधि:
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को स्वच्छ करें और शिवलिंग या शिव प्रतिमा के सामने बैठें।
- दीप जलाएं और जल, बेलपत्र, अक्षत, धूप, चंदन आदि अर्पित करें।
- महामृत्युंजय मंत्र का 108, 1008 या अधिक संख्या में जाप करें।
- जाप समाप्त होने के बाद शिवजी से आरोग्यता और परिवार की शांति के लिए प्रार्थना करें।
- अंत में प्रसाद वितरण करें और जल का आचमन करें।
वास्तु शांति मंत्र जाप
वास्तु शांति मंत्र जाप एक विशेष पूजा प्रक्रिया है जो घर, दुकान या कार्यालय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए की जाती है। यदि किसी भवन में वास्तु दोष होता है, तो यह जाप करने से अशांति, आर्थिक समस्याएं और पारिवारिक कलह को दूर किया जा सकता है।
वास्तु शांति मंत्र:
“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः। ॐ वास्तु देवाय नमः। ॐ नमः शिवाय।”
वास्तु शांति मंत्र जाप करने की विधि:
- घर या कार्यस्थल को स्वच्छ करें और पवित्र जल का छिड़काव करें।
- पूजा स्थल पर गणपति, नवग्रह और वास्तु देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- दीप जलाकर धूप और फूल अर्पित करें।
- वास्तु शांति मंत्र का 108 बार जाप करें।
- पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोमूत्र और गोबर) से हवन करें।
- घर के सभी कोनों में गंगाजल और हल्दी मिश्रित जल का छिड़काव करें।
- अंत में प्रसाद वितरण करें और भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
शान्ति पूजा और खाप दीप
शांति पूजा और खाप दीप एक प्राचीन वैदिक विधि है जो घर और परिवार में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए की जाती है।
शांति पूजा विधि:
- स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थान को साफ करें।
- गणपति वंदना और नवग्रह पूजन करें।
- घर के मुख्य द्वार और प्रत्येक कमरे में दीप जलाएं।
- भगवान विष्णु, शिव और देवी लक्ष्मी की आराधना करें।
- “ॐ शांतिः शांतिः शांतिः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- हवन सामग्री से हवन करें और घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
- प्रसाद वितरण करें और सभी परिवारजनों को आशीर्वाद दें।
खाप दीप की विधि:
- विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा या ग्रहण के समय घर के बाहर दीप जलाएं।
- तिल का तेल और रुई की बत्ती का प्रयोग करें।
- घर की शांति और नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए प्रार्थना करें।
- यह प्रक्रिया लगातार 11 या 21 दिनों तक करें।
निष्ठाय निष्ठान
परिवारिक कलह से मुक्ति पाने के लिए निम्नलिखित शांति का क्रम करना जरूरी है। अगर के जीवन में समाधि और प्रेम समधान के साथ शांति की अहमियता करनी चाहिए।